Category: Hindi Poems
प्रथम रश्म -सुमित्रानंदन पंत Pratham Rashmi – Sumitranand Pant प्रथम रश्मि का आना रंगिणि! तूने कैसे पहचाना? कहां, कहां हे बाल-विहंगिनि! पाया तूने वह गाना? सोयी थी तू स्वप्न …
बापू -सुमित्रानंदन पंत Bapu – Sumitranand Pant चरमोन्नत जग में जब कि आज विज्ञान ज्ञान, बहु भौतिक साधन, यंत्र यान, वैभव महान, सेवक हैं विद्युत वाष्प शक्ति धन बल …
घंटा -सुमित्रानंदन पंत Ghanta – Sumitranand Pant नभ की है उस नीली चुप्पी पर घंटा है एक टंगा सुन्दर, जो घड़ी घड़ी मन के भीतर कुछ कहता रहता बज …
वह बुड्ढा -सुमित्रानंदन पंत Vah Budha – Sumitranand Pant खड़ा द्वार पर, लाठी टेके, वह जीवन का बूढ़ा पंजर, चिमटी उसकी सिकुड़ी चमड़ी हिलते हड्डी के ढाँचे पर। उभरी …
वे आँखें -सुमित्रानंदन पंत Ve Aankhe – Sumitranand Pant अंधकार की गुहा सरीखी उन आँखों से डरता है मन, भरा दूर तक उनमें दारुण दैन्य दुख का नीरव रोदन! …
संध्या के बाद -सुमित्रानंदन पंत Sandhya ke Baad – Sumitranand Pant सिमटा पंख साँझ की लाली जा बैठी तरू अब शिखरों पर ताम्रपर्ण पीपल से, शतमुख झरते चंचल स्वर्णिम …
चंचल पग दीप-शिखा-से -सुमित्रानंदन पंत Chanchal Pag Deep-Shikha se – Sumitranand Pant चंचल पग दीप-शिखा-से धर गृह,मग, वन में आया वसन्त! सुलगा फाल्गुन का सूनापन सौन्दर्य-शिखाओं में अनन्त! सौरभ …
आज रहने दो यह गृह-काज -सुमित्रानंदन पंत Aaj Rehne Do yeh Grah-Kaaj – Sumitranand Pant आज रहने दो यह गृह-काज, प्राण! रहने दो यह गृह-काज! आज जाने कैसी वातास, …