Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Shri Surya Kant Kripathi ke Prati ”, “श्री सूर्यकांत त्रिपाठी के प्रति” Complete Poem for Class 10 and Class 12

श्री सूर्यकांत त्रिपाठी के प्रति -सुमित्रानंदन पंत Shri Surya Kant Kripathi ke Prati – Sumitranand Pant छंद बंध ध्रुव तोड़, फोड़ कर पर्वत कारा अचल रूढ़ियों की, कवि! तेरी …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Vayu Ke Prati ”, “वायु के प्रति” Complete Poem for Class 10 and Class 12

वायु के प्रति -सुमित्रानंदन पंत Vayu Ke Prati – Sumitranand Pant प्राण! तुम लघु लघु गात! नील नभ के निकुंज में लीन, नित्य नीरव, नि:संग नवीन, निखिल छवि की …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Sandhya Vandana ”, “सांध्य वंदना” Complete Poem for Class 10 and Class 12

सांध्य वंदना -सुमित्रानंदन पंत Sandhya Vandana – Sumitranand Pant जीवन का श्रम ताप हरो हे! सुख सुषुमा के मधुर स्वर्ण हे! सूने जग गृह द्वार भरो हे! लौटे गृह …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Moh ”, “मोह” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मोह -सुमित्रानंदन पंत Moh – Sumitranand Pant   छोड़ द्रुमों की मृदु-छाया, तोड़ प्रकृति से भी माया, बाले! तेरे बाल-जाल में कैसे उलझा दूँ लोचन? भूल अभी से इस …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Anubhuti ”, “अनुभूति ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

अनुभूति -सुमित्रानंदन पंत Anubhuti – Sumitranand Pant तुम आती हो, नव अंगों का शाश्वत मधु-विभव लुटाती हो। बजते नि:स्वर नूपुर छम-छम, सांसों में थमता स्पंदन-क्रम, तुम आती हो, अंत:स्थल …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Bapu Ke Prati ”, “बापू के प्रति” Complete Poem for Class 10 and Class 12

बापू के प्रति -सुमित्रानंदन पंत Bapu Ke Prati – Sumitranand Pant तुम मांस-हीन, तुम रक्त-हीन, हे अस्थि-शेष! तुम अस्थि-हीन, तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुराण, हे चिर नवीन! …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Mahatma Ji Ke Prati ”, “महात्मा जी के प्रति” Complete Poem for Class 10 and Class 12

महात्मा जी के प्रति -सुमित्रानंदन पंत Mahatma Ji Ke Prati – Sumitranand Pant निर्वाणोन्मुख आदर्शों के अंतिम दीप शिखोदय!– जिनकी ज्योति छटा के क्षण से प्लावित आज दिगंचल,– गत …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Samar Shesh hai”, “समर शेष है” Complete Poem for Class 10 and Class 12

समर शेष है -रामधारी सिंह दिनकर Samar Shesh hai -Ramdhari Singh Dinkar   ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो , किसने कहा, युद्ध की बेला चली गयी, …