Category: Hindi Poems
हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों -रामधारी सिंह दिनकर Ho Kaha Agnidharma Navin Rishiyon -Ramdhari Singh Dinkar कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियो। श्रवण खोलो¸ रूक सुनो¸ विकल यह नाद कहां से …
सिपाही -रामधारी सिंह दिनकर Sipahi -Ramdhari Singh Dinkar वनिता की ममता न हुई, सुत का न मुझे कुछ छोह हुआ, ख्याति, सुयश, सम्मान, विभव का, त्यों ही, कभी न …
वातायन -रामधारी सिंह दिनकर Vatayan -Ramdhari Singh Dinkar मैं झरोखा हूँ। कि जिसकी टेक लेकर विश्व की हर चीज़ बाहर झाँकती है। पर, नहीं मुझ पर, झुका है विश्व तो …
शक्ति और क्षमा -रामधारी सिंह दिनकर Shakti Aur Kshama -Ramdhari Singh Dinkar क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे कहो, कहाँ कब हारा …
समुद्र का पानी -रामधारी सिंह दिनकर Samudra Ka Pani -Ramdhari Singh Dinkar बहुत दूर पर अट्टहास कर सागर हँसता है। दशन फेन के, अधर व्योम के। ऐसे में सुन्दरी …
शोक की संतान -रामधारी सिंह दिनकर Shok Ki Santan -Ramdhari Singh Dinkar हृदय छोटा हो, तो शोक वहां नहीं समाएगा। और दर्द दस्तक दिये बिना दरवाज़े से लौट …
वीर -रामधारी सिंह दिनकर Veer -Ramdhari Singh Dinkar सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैं स्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैं सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को …
राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी -रामधारी सिंह दिनकर Raja Basant Varsha Rituon ki Rani – Ramdhari Singh Dinkar राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी लेकिन दोनों की कितनी …