Category: Hindi Poems
लोहे के पेड़ हरे होंगे -रामधारी सिंह दिनकर Lohe ke Pedh Hare Honge -Ramdhari Singh Dinkar लोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल, नम होगी …
मेरे नगपति! मेरे विशाल! -रामधारी सिंह दिनकर Mere Nagpati Mere Vishal – Ramdhari Singh Dinkar मेरे नगपति! मेरे विशाल! साकार, दिव्य, गौरव विराट, पौरुष के पुन्जीभूत ज्वाल! मेरी जननी …
विजयी के सदृश जियो रे -रामधारी सिंह दिनकर Vijayi ke Sadrish Jiyo Re – Ramdhari Singh Dinkar वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा संभालो चट्टानों की छाती से दूध …
लोहे के मर्द -रामधारी सिंह दिनकर Lohe ke Mard -Ramdhari Singh Dinkar पुरुष वीर बलवान, देश की शान, हमारे नौजवान घायल होकर आये हैं। कहते हैं, ये पुष्प, दीप, …
लेन-देन -रामधारी सिंह दिनकर Len-Den -Ramdhari Singh Dinkar लेन-देन का हिसाब लंबा और पुराना है। जिनका कर्ज़ हमने खाया था, उनका बाकी हम चुकाने आये हैं। और जिन्होंने हमारा …
रोटी और स्वाधीनता -रामधारी सिंह दिनकर Roti or Swadhinta – Ramdhari Singh Dinkar आज़ादी तो मिल गई, मगर, यह गौरव कहाँ जगाएगा ? मरभूखे ! इसे घबराहट में तू …
भगवान के डाकिए -रामधारी सिंह दिनकर Bhagvan ke Dakiye – Ramdhari Singh Dinkar पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते …
भारत -रामधारी सिंह दिनकर Bharat – Ramdhari Singh Dinkar सीखें नित नूतन ज्ञान, नई परिभाषाएं, जब आग लगे, गहरी समाधि में रम जाओ; या सिर के बल हो खडे …