Category: Hindi Poems
परंपरा -रामधारी सिंह दिनकर Parampara -Ramdhari Singh Dinkar परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो। उसमें बहुत कुछ है, जो जीवित है, जीवनदायक है, जैसे भी हो, ध्वसं से …
बालिका से वधू -रामधारी सिंह दिनकर Balika se Vadhu -Ramdhari Singh Dinkar माथे में सेंदूर पर छोटी दो बिंदी चमचम-सी, पपनी पर आँसू की बूँदें मोती-सी, शबनम-सी। लदी हुई …
पर्वतारोही -रामधारी सिंह दिनकर Parvatarohi -Ramdhari Singh Dinkar मैं पर्वतारोही हूँ। शिखर अभी दूर है। और मेरी साँस फूलनें लगी है। मुड़ कर देखता हूँ कि मैनें जो निशान …
परदेशी -रामधारी सिंह दिनकर Pardesi – Ramdhari Singh Dinkar माया के मोहक वन की क्या कहूँ कहानी परदेशी? भय है, सुन कर हँस दोगे मेरी नादानी परदेशी! सृजन-बीच संहार …
परिचय -रामधारी सिंह दिनकर Parichay -Ramdhari Singh Dinkar सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैं स्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैं बँधा हूँ, स्वप्न हूँ, लघु वृत हूँ मैं …
पढ़क्कू की सूझ -रामधारी सिंह दिनकर Padhakku ki Soojh – Ramdhari Singh Dinkar एक पढ़क्कू बड़े तेज थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे, जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नई बात …
जनतन्त्र का जन्म -रामधारी सिंह दिनकर Jantantra Ka Janm -Ramdhari Singh Dinkar सदियों की ठंडी – बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है; दो राह, …
नमन करूँ मैं -रामधारी सिंह दिनकर Naman Karun Main -Ramdhari Singh Dinkar तुझको या तेरे नदीश, गिरि, वन को नमन करूँ, मैं? मेरे प्यारे देश! देह या मन को …