Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Parampara ”, “परंपरा ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

परंपरा -रामधारी सिंह दिनकर Parampara -Ramdhari Singh Dinkar परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो। उसमें बहुत कुछ है, जो जीवित है, जीवनदायक है, जैसे भी हो, ध्वसं से …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Balika se Vadhu”, “बालिका से वधू ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

बालिका से वधू -रामधारी सिंह दिनकर Balika se Vadhu -Ramdhari Singh Dinkar माथे में सेंदूर पर छोटी दो बिंदी चमचम-सी, पपनी पर आँसू की बूँदें मोती-सी, शबनम-सी। लदी हुई …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Parvatarohi”, “पर्वतारोही ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

पर्वतारोही -रामधारी सिंह दिनकर Parvatarohi -Ramdhari Singh Dinkar मैं पर्वतारोही हूँ। शिखर अभी दूर है। और मेरी साँस फूलनें लगी है। मुड़ कर देखता हूँ कि मैनें जो निशान …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Pardesi ”, “परदेशी ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

परदेशी -रामधारी सिंह दिनकर Pardesi – Ramdhari Singh Dinkar माया के मोहक वन की क्या कहूँ कहानी परदेशी? भय है, सुन कर हँस दोगे मेरी नादानी परदेशी! सृजन-बीच संहार …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Parichay ”, “परिचय ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

परिचय -रामधारी सिंह दिनकर Parichay -Ramdhari Singh Dinkar  सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैं स्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैं बँधा हूँ, स्वप्न हूँ, लघु वृत हूँ मैं …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Padhakku ki Soojh”, “पढ़क्कू की सूझ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

पढ़क्कू की सूझ -रामधारी सिंह दिनकर Padhakku ki Soojh – Ramdhari Singh Dinkar  एक पढ़क्कू बड़े तेज थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे, जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नई बात …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Jantantra Ka Janm”, “ जनतन्त्र का जन्म ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

जनतन्त्र का जन्म -रामधारी सिंह दिनकर Jantantra Ka Janm -Ramdhari Singh Dinkar सदियों की ठंडी – बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है; दो राह, …

Hindi Poem of Ramdhari Singh Dinkar “Naman Karun Main”, “नमन करूँ मैं ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

नमन करूँ मैं -रामधारी सिंह दिनकर Naman Karun Main -Ramdhari Singh Dinkar तुझको या तेरे नदीश, गिरि, वन को नमन करूँ, मैं? मेरे प्यारे देश! देह या मन को …