Category: Hindi Poems
दिल्ली (कविता) -रामधारी सिंह दिनकर Dilli -Ramdhari Singh Dinka यह कैसी चांदनी अम के मलिन तमिर की इस गगन में, कूक रही क्यों नियति व्यंग से इस गोधूलि-लगन में? …
जियो जियो अय हिन्दुस्तान -रामधारी सिंह दिनकर Jiyo Jiyo Aye Hindustan -Ramdhari Singh Dinkar जाग रहे हम वीर जवान, जियो जियो अय हिन्दुस्तान! हम प्रभात की नई किरण हैं, …
जब आग लगे… -रामधारी सिंह दिनकर Jab Aag Lage – Ramdhari Singh Dinkar सीखो नित नूतन ज्ञान, नई परिभाषाएं, जब आग लगे, गहरी समाधि में रम जाओ; या सिर …
रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद -रामधारी सिंह दिनकर Raat Yo Kahne Laga Mujhse Gagan Ka Chand -Ramdhari Singh Dinkar रात यों कहने लगा मुझसे गगन …
निराशावादी -रामधारी सिंह दिनकर Nirashavadi -Ramdhari Singh Dinkar पर्वत पर, शायद, वृक्ष न कोई शेष बचा धरती पर, शायद, शेष बची है नहीं घास उड़ गया भाप बनकर सरिताओं …
ध्वज-वंदना -रामधारी सिंह दिनकर Dwaja-Vandana -Ramdhari Singh Dinkar नमो, नमो, नमो। नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो ! नमो नागाधिराज – श्रृंग की विहारिणी ! नमो अनंत …
एक विलुप्त कविता -रामधारी सिंह दिनकर Ek Vilupt kavita -Ramdhari Singh Dinkar बरसों बाद मिले तुम हमको आओ जरा विचारें, आज क्या है कि देख कौम को ग़म है। …
एक पत्र -रामधारी सिंह दिनकर Ek Patra -Ramdhari Singh Dinkar मैं चरणॊं से लिपट रहा था, सिर से मुझे लगाया क्यों? पूजा का साहित्य पुजारी पर इस भाँति चढ़ाया …