Category: Hindi Poems
मनुष्यशक्ति Manushya Shakti कितना कोयला होगा मेरी देह में कितनी कैलोरी कितने वाट कितने जूल कितनी अश्वशक्ति (मैं इसे मनुष्यशक्ति कहूंगा) कितनी भी ठंडक हो बर्फ़ हो अंधेरा …
झटपट खाओ Jhatpat khao सूरज ने भेजा धरती पर अपनी बेटी किरण धूप को साथ खेलते धरती ने भी उगा दिया झट हरी दूब को. दूब उगी तो देख …
मछलियाँ Machliya एक बार हमारी मछलियों का पानी मैला हो गया था उस रात घर में साफ़ पानी नहीं था और सुबह तक सारी मछलियाँ मर गई थीं …
रहस्य अपना भी खुलता है Rahasya apna bhi khulta he (एक) अच्छा ही नहीं ठीक भी लगता है बड़ी सभाओं की पिछली पंक्तियों में बैठना वहाँ से ठीक से …
रात भर Raat bhar रात भर चलती हैं रेलें ट्रक ढोते हैं माल रात भर कारख़ाने चलते हैं कामगार रहते हैं बेहोश होशमंद करवटें बदलते हैं रात भर …
सुनहरी पृथ्वी Sunahri prithvi सूरज रात-भर माँजता रहता है काली पृथ्वी को तब जाकर कहीं सुनहरी हो पाती है पृथ्वी Related posts: Hindi Poem of Ashok Vajpayee “ Adhpake …
नीम की पत्तियाँ Neem ki pattiya कितनी सुन्दर होती हैं पत्तियाँ नीम की ये कोई कविता क्या बताएगी जो उन्हें मीठे दूध में बदल देती है उस बकरी …
हाक़िम हैं Hakim he हाकिम हैं बात का बुरा क्योंकर मनाइए उनकी बला से मानिये या रूठ जाइए। घर नहीं दीवानखाने आ गए हैं आप अब उसूलन आप भी …