Category: Hindi Poems
मेरा मन Mera man मेरा चंचल मन भी कैसा, पल में खिलता, मुरझा जाता! जब सुखी हुआ सुख से विह्वल, जब दु:खी हुआ दु:ख से बेकल, वह हरसिंगार …
सबक Sabak कितनी साफ़ नज़र आती हैं हमारे आगे और पीछे कितनी कितनी राहें हमारे बचपन में जबकि हमारे पाँव और कदम बहुत नन्हें और अबोध होते हैं। तब …
युग और मैं Yug aur me उजड़ रहीं अनगिनत बस्तियाँ, मन, मेरी ही बस्ती क्या! धब्बों से मिट रहे देश जब, तो मेरी ही हस्ती क्या! बरस रहे …
सूरज डूब गया बल्ली भर Suraj dub gya balli bhar सूरज डूब गया बल्ली भर सागर के अथाह जल में। एक बाँस भर उठ आया है चांद, ताड …
माँ के पँख नहीं होते Maa ke pankh nahi hote माँ के पंख नहीं होते कुतर देते हॆं उन्हें होते ही पॆदा खुद उसी के बच्चे । माँ के …
साथी चाँद Sathi chand मैंने देखा, मैं जिधर चला, मेरे सँग सँग चल दिया चाँद! घर लौट चुकी थी थकी साँझ; था भारी मन दुर्बल काया, था ऊब …
मैं कोई फ़रिश्ता तो नहीं था Me koi farishta to nahi tha पत्र भी एक समय के बाद शव से नज़र आने लगें तो क्या करें? क्या करें जब …
ज्योति कलश छलके Jyoti chalke ज्योति कलश छलके हुए गुलाबी, लाल सुनहरे रंग दल बादल के ज्योति कलश छलके घर आंगन वन उपवन उपवन करती ज्योति अमृत के …