Category: Hindi Poems
मैंने कहा – हाँ Mene kaha haa बहुत नशेड़ी होकर भी चाह रहा था समुद्र मॆं पीता रहूँ । पीता रहूँ बैठा गोवा के तट पर । नशे में …
आषाढ़ Ashadh पकी जामुन के रँग की पाग बाँधता आया लो आषाढ़! अधखुली उसकी आँखों में झूमता सुधि मद का संसार, शिथिल-कर सकते नहीं संभाल खुले लम्बे साफे …
पत्नी तो नहीं हैं न हम आपकी Patni to nahi he na hum aapki नहीं लिखा गया तो एक ओर रख दिया कागज बंद कर दिया ढक्कन पेन का …
प्रयाग Prayag १ मैं बन्दी बन्दी मधुप, और यह गुंजित मम स्नेहानुराग, संगम की गोदी में पोषित शोभित तू शतदल प्रयाग! विधि की बाहें गंगा-यमुना तेरे सुवक्ष पर …
पँख Pankh दरवाजा शायद खुला रह गया है इसी राह से आया होगा उड़कर यह खूबसूरत पंख! खिड़कियां तो सभी बंद हैं। शायद सामने वाले पेड़ पर कोई नया …
सुख-दुख Sukh dukh जब तक मन में दुर्बलता है दुख से दुख, सुख से ममता है। पर सदा न रहता जग में सुख रहता सदा न जीवन में …
पूजना चाहता हूँ किसी अवतार की तरह Pujna chahta hu kisi avtar ki tarha भीड़ भी तो नहीं कह सकता इसे! माना, न ये लाद कर लाए गए हैं …
आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे Aaj ke bichude na jane kab milenge आज के बिछुड़े न जाने कब मिलेंगे? आज से दो प्रेम योगी, अब वियोगी …