Category: Hindi Poems
नहीं जानते कैसे Nahi jante kese नहीं जानते कैसे पर आ जाता है तराशना समय के साथ-साथ होकर शिल्पकार। दूर-दूर तक नहीं दिखतीं जहां संभावनाएं उन्हीं शिलाओं में कर …
तुम भी बोलो, क्या दूँ रानी Tum bhi bolo kya du rani पगली इन क्षीण बाहुओं में कैसे यों कस कर रख लोगी एक, एक एक क्षण को …
वर्षा मंगल Varsha mangal सत रंग चुनर नव रंग राग मधुर मिलन त्यौहार गगन में, मेघ सजल , बिजली में आग … सत रंग चुनर , नव रंग …
बहुत कुछ है अभी Bahut kuch he abhi कितनी भी भयानक हों सूचनाएँ क्रूर हों कितनी भी भविष्यवाणियाँ घेर लिया हो चाहे कितनी ही आशंकाओं ने पर है अभी …
तुम रत्न-दीप की रूप-शिखा Tum ratan deep ki rup shikha तुम दुबली-पतली दीपक की लौ-सी सुन्दर मैं अंधकार मैं दुर्निवार मैं तुम्हें समेटे हूँ सौ-सौ बाहों में, मेरी …
दाँत Dant ख़बर है कि नहीं रहा एक अगला दाँत कवि त्रिलोचन का न हुआ पर न हुआ अफ़सोस मीर का नसीब सामने साक्षात् थे वासुदेव, कि न चल …
माया Maya दिखाती पहले धूप रूप की , दिखाती फ़िर मट मैली काया! दुहरी झलक दिखा कर अपनी मोह – मुक्त कर देती माया! असम्भाव्य भावी की आशा …
अदृश्य होते हुए Adeshya hote hue जानता मैं भी हूं कि लगभग अदृश्य हो रहा हूँ अदृश्य यूँ कौन नहीं हो रहा न वह हवा है, न पानी ही …