Category: Hindi Poems
माँ री, बुला एक बार! Maa ri bula ek baar फिर से उसी घर में थोड़ा थोड़ा-सा रह लूँ माँ री, बुला एक बार! ससुरे के आँगन …
जीवन-काँवर Jevan kavar भौतिकता और चेतना के दो घटवाली जीवन-काँवर, लेकर आता है जीव, श्वास की त्रिगुण डोर में अटका कर, हर बार नये ही निर्धारण, काँवरिये की …
हमार कोऊ का करि है ! Hamar kou ka kari he हम तो खाइब अम्हाड़ को अचार, चुराय के हँडिया से, हमार कोऊ का करि है! आपुन सपूत …
वहाँ हरगिज़ नहीं जाना Vaha hargiz nahi jana जहां के लिये उमड़े मन वहाँ हरगिज़ नहीं जाना न आओ दिख रहा लिक्खा जहाँ के बंद द्वारों पर फकत …
ढरे रहो मो पे Dhare raho mo pe संकर को पोटि के पियाय दियो घोर विष असुरन को छल से छकाय दई वारुणी मिलि-बाँटि देवन सों आप सुधा …
ऐसा क्या दे दिया Esa kya de diya ऐसा क्या दे दिया सभी हो गया अकिंचन दुनिया के वैभव सुख के मुस्काते सपने, मदमाता मधुमास टेरती हुई हवायें …
शिव-विवाह Shiv Vivah गन सारे जुटि रहे आस-पासे, कइस औघड़ को दुलहा बनावे, पूरो संभु को समाज आय ठाड़ो कोऊ जाने न लोक-वेवहारो! घरनी बिन, रहे भूतन को …
ओ, अंतर्यामी! O antaryami मैंने क्या किया? कुछ नहीं किया मैंने, तुम अर्जुन, तुम दुर्योधन, द्रौपदी अश्वत्थामा और व्याध भी तुम्हीं! सूत्रधार और कर्णधार सब कुछ तुम्ही तो …