Category: Hindi Poems
ज्योति पर्व : ज्योति वंदना Jyoti parv jyoti vandana जीवन की अंधियारी रात हो उजारी! धरती पर धरो चरण तिमिर-तम हारी परम व्योमचारी! चरण धरो, दीपंकर, जाए कट …
देखिए, मुझे कोई मुगालता नहीं है Dekhiye, mujhe koi Mugalta nahi सड़कें साउथ-एक्सटेंशन की हों या नोएडा की घूम ही नहीं बैठ भी सकतें हैं जानवर, मसलन गाय, बछड़े, …
मेरे गीत बड़े हरियाले Mere geet bade hariyale मेरे गीत बड़े हरियाले, मैने अपने गीत, सघन वन अन्तराल से खोज निकाले मैँने इन्हे जलधि मे खोजा, जहाँ द्रवित …
ऐसे हैं सुख सपन हमारे Ese he sukh sapan hamare ऐसे हैं सुख सपन हमारे बन बन कर मिट जाते जैसे बालू के घर नदी किनारे ऐसे हैं …
दैत्य ने कहा Detya ne kaha दैत्य ने कहा — मैं घोषणा करता हूँ कि आज से सब स्वतंत्र हैं कि सब ले सकते हैं आज से भुनते हुए …
आँख भर देखा कहाँ Aankh bhar dekha kaha आँख भर देखा कहाँ, आँख भर आई। अटकी ही रही दीठ वह हिमगिरी-भाल-पीठ मेरे ही आँसू के झीने पट ओट …
हैरान थी हिन्दी Heran thi Hindi हैरान थी हिन्दी उतनी ही सकुचाई लजाई सहमी-सहमी-सी खड़ी थी साहब के कमरे के बाहर इजाज़त माँगती माँगती दुआ पी०ए० साहब की तनिक …
बेंदी Bendi उगी गोरे भला पर बेंदी! एक छोटे दायरे में लालिमा इतनी बिथुरती, बांध किसने दी। नहा केसर के सरोवर में, ज्यों गुलाबी चांद उग आया। अनछुई-सी …