Category: Hindi Poems
साँझ-17 Saanjh 17 प्रत्येक हृदय स्पंिदत हो, मेरे कंपन की गति पर, छाले मेरी करूणा का, संदेश देश-देशान्तर।।२४१।। सापेक्ष विश्व निमिर्त है, कल्पना-कला के लेखे। यह भूमि दूसरा …
फिर कली की ओर Fir kali ki or हम यहाँ हैं और उलझी कहीं पीछे डोर फूल कोई लौट जाना चाहता है फिर, कली की ओर! इस तरह भी …
साँझ-16 Saanjh 16 पागलपन के धागों में, सारी तरूनाई बुन दँू। चंदा की चल पलकों पर, चुपके से चुम्बन चुन दँू।।२२६।। स्वीकृत-िसंकेत तुम्हारे, मेरे समीप तक आयें। घन …
चलो देखें… Chalo dekhe चलो देखें, खिड़कियों से झाँकती है धूप उठ जाएँ । सुबह की ताज़ी हवा में हम नदी के साथ थोड़ा घूम-फिर आएँ! चलो, देखें, रात-भर …
साँझ-15 Saanjh 15 झुक गये शिथिल दृग दोनों, रूँध गई कंठ में वाणी। अधरों का मधुर परस-रस, कर सका न मुखिरत प्राणी।।२११।। कोई न जिसे पढ़ पाया, ऐसी …
नाव का दर्द Naav ka dard मैं नैया मेरी क़िस्मत में लिक्खे हैं दो कूल-किनारे पार उतारूँ मैं सबको मुझको ना कोई पार उतारे जीवन की संगिनी बनी है …
साँझ-14 Saanjh 14 यौवन की आतुरता में , ेजो भूल कभी हो जाती। जीवन भर उसकी सुधि से, दहका करती है छाती।।१९६।। तज कर यथाथर् की कटुता, कैसे …
हम छले गए Hum chale gye हमने-तुमने जब भी चाहा द्वापर-त्रेता सब चले गए! हम छले गए! रथ नहीं रहे ना अश्व रहे ना दीर्घ रहे ना ह्र्स्व रहे …