Category: Hindi Poems
साँझ-9 Saanjh 9 नन्हीं-नन्हीं बँूदों से, शीतलता बिखर रही थी। निमर्ल जल से घुल-घुल कर, हिरयाली निखर रही थी।।१२१।। झुक गई दूब की पलकें, आँसू का भार सम्हाले। …
द्वंद्व Dwand रहते हैं अपने घर में उनके घर की कहते हैं मन नद्दी-नालों में कितने परनाले बहते हैं कितना पानी हुआ इकट्ठा बस्ती में आबादी में बहकर आया …
साँझ-8 Saanjh 8 नयनों ने जैसे कोई, उत्सुक उत्सव देखा हो। श्यामल पुतली के ऊपर, बन गई एक रेखा हो।।१०६।। अमृत की प्यासी आँखें, मुख छिव तकती घूमेंगी। …
धूप के नखरे बढ़े Dhup ke nakhre badhe शीत की अंगनाइयों में धूप के नखरे बढ़े बीच घुटनों के धरे सिर पत्तियों के ओढ़ सपने नीम की छाया छितरकर …
साँझ-7 Saanjh 7 खो गया गगन पलकों में, पुतली पर तम की छाया। धीरे-धीरे नयनों के – तारों में चाँद समाया।।९१र्।। विधु को छूने के पहले, पड़ी दृष्टि …
कोख बाघिन की Kokh baghin ki समय में ही समय का बनकर रहूँ नींव रख दूँ या नए दिन की रात-दिन में फ़र्क कोई है कहाँ बस, उजाला बीच …
आ गए पंछी Aa gye panchi आ गए पंछी नदी को पार कर इधर की रंगीनियों से प्यार कर उधर का सपना उधर ही छोड़ आए हमेशा के वास्ते …
साँझ-6 Saanjh 6 मत मेरी आेर निहारो, मेेरी आँखें हैं सूनी। फिर सुलग उठेंगी सँासें, फिर धधक उठेगी धूनी।।७६।। धीरे-धीरे होता है, उर पर प्रहार आँसू का। नभ …