Category: Hindi Poems
रण में बसर करते हुए Ran me baras karte hue व्यूह से तो निकलना ही है समर करते हुए रण में बसर करते हुए । हाथ की तलवार में …
मैं गाने लगता Me gane lagta अक्सर क्या होता मुझको जो मन ही मन शर्माने लगता तुम रोती, मैं गाने लगता तुम घर मैं कितना खटती हो कितने हिस्सों …
दुख के नए तरीके Dukh ke naye tarike सिर पर सुख के बादल छाए दुख नए तरीके से आए घर है, रोटी है, कपडे हैं आगे के भी कुछ …
सारा घर आग-आग हो गया Sara Ghar aag aag ho gya खिली धूप तुझको कह देने से चेहरा-चेहरा चिराग़ हो गया । तुझको चन्द्रमुखी कह दिया सारा घर आग-आग …
नए नमूने Naye Namune कई रंग के फूल बने काँटे खिल के नई नस्ल के नये नमूने बेदिल के आड़ी-तिरछी टेढ़ी चालें पहने नई-नई सब खालें परत-दर-परत हैं पँखुरियों …
क़िस्से गुलनार के Kisse Gulnar ke पीपल के पके पात पंछी पतझार के, थोड़ी ऋतु और अभी बाक़ी है उड़ने दो छंद ये बहार के । फूल-फूल अगवानी शूल, …
नवम्बर की दोपहर November ki Dopahar अपने हलके-फुलके उड़ते स्पर्शों से मुझको छू जाती है जार्जेट के पीले पल्ले-सी यह दोपहर नवम्बर की! आयी गयी ऋतुएँ पर वर्षों से …
साँझ के बादल Sanjh ke badal ये अनजान नदी की नावें जादू के-से पाल उड़ाती आती मंथर चाल। नीलम पर किरनों की साँझी एक न डोरी एक न माँझी …