Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Dhananjay singh “Oog aai nagfali”,”उग आई नागफनी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उग आई नागफनी  Oog aai nagfali हमने कलमें गुलाब की रोपी थीं पर गमलों में उग आई नागफनी जीवन ऐसे मोड़ों तक आ पहुँचा आ जहाँ हृदय को सपने …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Kuch Kshnikaye”,”कुछ क्षणिकाएँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कुछ क्षणिकाएँ  Kuch Kshnikaye दायित्व पंखों में बांधकर पहाड़ उड़ने को कह दिया गया। ध्वजारोहण शौर्य शांति और समृध्दि को काले पहिए से बांधकर बाँस पर लटका दिया गया …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Mausam ke kagaj par”,” मौसम के कागज़ पर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मौसम के कागज़ पर  Mausam ke kagaj par मौसम के कागज़ पर आज लिखा था सूरज पर काले मेघ और बारिश ने घेर लिया सुबह-दोपहर-संध्या, सबने यह देखा पर …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Nahi jhukta, jhukta bhi nahi hu”,”नहीं झुकता, झुकाता भी नहीं हूँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नहीं झुकता, झुकाता भी नहीं हूँ  Nahi jhukta, jhukta bhi nahi hu नहीं झुकता, झुकाता भी नहीं हूँ जो सच है वो, छिपाता भी नहीं हूँ जहाँ सादर नहीं …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Yaad ek gungunati hui khushbu ki”,”याद एक गुनगुनाती हुई ख़ुशबू की” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

याद एक गुनगुनाती हुई ख़ुशबू की  Yaad ek gungunati hui khushbu ki रोज़ रात को तीन बजे एक ट्रेन मेरे दिल पर से गुज़रती है और एक शहर मेरे …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Jyo dube jahaj ka panchi”,”ज्यों डूबे जहाज का पंछी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ज्यों डूबे जहाज का पंछी  Jyo dube jahaj ka panchi यों तेरी यादों के बादल मन पर घिर आए ज्यों डूबे जहाज़ का पंछी जल पर मण्डराए । एक-स्मृति …

Hindi Poem of Dhananjay singh “To Tumhi kaho”,”तो तुम्हीं कहो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तो तुम्हीं कहो  To Tumhi kaho कोई उजली भीगी बदली आकर कन्धे पर झुक जाए तो तुम्हीं कहो वह भीगापन जी लूँ या तन-मन जलने दूँ? मैं प्यास छिपाए …

Hindi Poem of Dhananjay singh “Aatm nirvasan”,”आत्म-निर्वासन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आत्म-निर्वासन  Aatm nirvasan कहाँ से कहाँ तक चलकर कहीं भी न पहुँचने का नाम मेरे लिए यात्रा है और जैसे नींद में चलते रहने का नाम जीवन । रास्ते …