Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Balkrishan Rao “  Kaun Jane ”,”कौन जाने?” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कौन जाने?  Kaun Jane   झुक रही है भूमि बाईं ओर, फ़िर भी कौन जाने? नियति की आँखें बचाकर, आज धारा दाहिने बह जाए। जाने किस किरण-शर के वरद …

Hindi Poem of Chandrasen Virat “ Kaho kese ho”,”कहो कैसे हो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कहो कैसे हो  Kaho kese ho लौट रहा हूँ मैं अतीत से देखूँ प्रथम तुम्‍हारे तेवर मेरे समय! कहो कैसे हो? शोर-शराबा चीख-पुकारे सड़कें भीर दुकानें होटल सब सामान …

Hindi Poem of Balkrishan Rao “  Nadi ko rasta kisne dikhaya ”,”नदी को रास्‍ता किसने दिखाया ?” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नदी को रास्‍ता किसने दिखाया ?  Nadi ko rasta kisne dikhaya   नदी को रास्‍ता किसने दिखाया? सिखाया था उसे किसने कि अपनी भावना के वेग को उन्‍मुक्‍त बहने …

Hindi Poem of Chandrasen Virat “Tum kabhi the surya”,”तुम कभी थे सूर्य” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुम कभी थे सूर्य  Tum kabhi the surya तुम कभी थे सूर्य लेकिन अब दियों तक आ गये। थे कभी मुख्पृष्ठ पर अब हाशियों तक आ गये ॥ यवनिका …

Hindi Poem of Balkrishan Rao “  Fir kya hoga uske baad ”,”फिर क्या होगा उसके बाद” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

फिर क्या होगा उसके बाद  Fir kya hoga uske baad   फिर क्या होगा उसके बाद? उत्सुक होकर शिशु ने पूछा, \”माँ, क्या होगा उसके बाद?\” रवि से उज्जवल, …

Hindi Poem of Balkrishan Rao “  Aaj ho hoga ”,”आज ही होगा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आज ही होगा  Aaj ho hoga   मनाना चाहता है आज ही? -तो मान ले त्यौहार का दिन आज ही होगा! उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठतीं, न अनदेखे …

Hindi Poem of Chandrasen Virat “ Dohe”,”दोहे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दोहे  Dohe पहुँचे पूरे जोश से, ज्यों आंधी तूफान चाँदी का जूता पड़ा, तो सिल गई ज़ुबान सबने अपनी काटकर, सौंपी उन्हें जुबान सिध्द हुए वे सहन में, कितने …

Hindi Poem of Chandrasen Virat “ Sambhav vidambna bhi”,” संभव विडंबना भी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

संभव विडंबना भी  Sambhav vidambna bhi संभव विडंबना भी है साथ नव-सृजन के उल्लास तो बढ़ेंगे, परिहास कम न होंगे अलगाव की विवशता हरदम निकट रही है इतना प्रयत्न …