Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Budhinath Mishra “Swar Vasanti”,”स्वर वासन्ती” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

स्वर वासन्ती  Swar Vasanti सब्ज़परी उतरी आँगन में फूटी गन्ध सुमन बन । अनजानी डाली पर कुहके मेरा बनजारा मन । विकल समीर फिरे वन-वन कुण्डल में कस्तूरी भर …

Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Prem ke liye jagah ”,”प्रेम के लिए जगह” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

प्रेम के लिए जगह  Prem ke liye jagah   उसने अपने प्रेम के लिए जगह बनाई बुहार कर अलग कर दिया तारों को सूर्य-चन्द्रमा को रख दिया एक तरफ़ …

Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Loksabhas shoksabha dhari”,”लोकसभासँ शोकसभा धरि” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

लोकसभासँ शोकसभा धरि  Loksabhas shoksabha dhari महगू बाजल — कते महगी आबि गेल छै! दालि-चाउरमे तँ आगि लागिए गेल छै । कथीसँ डिबीया लेसी मटियाक तेलो उड़नखटोला भ, गेल। …

Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Shesh ”,”शेष” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शेष  Shesh   सब-कुछ बीत जाने के बाद बचा रहेगा प्रेम केलि के बाद शैया में पड़ गई सलवटों-सा, मृत्यु के बाद द्रव्य-स्मरण-सा, अश्वारोहियों से रौंदे जाने के बाद …

Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Gandhi bani amrai”,”गंधी बनी अमराई” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गंधी बनी अमराई  Gandhi bani amrai भाँति-भाँति के इत्र बेचती गन्धी बनी आज अमराई । महुए के रस में घुलते सेमल के फाहे चुनते-चुनते भटक गए भोले चरवाहे । …

Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Vah kese kahegi ”,”वह कैसे कहेगी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वह कैसे कहेगी  Vah kese kahegi   वह कैसे कहेगी – हाँ! हाँ कहेंगे उसके अनुरक्त नेत्र उसके उदग्र-उत्सुक कुचाग्र उसकी देह की चकित धूप उसके आर्द्र अधर कहेंगे …

Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Chalalaa Gaam Bajar ”,”चलला गाम बजार” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चलला गाम बजार  Chalalaa Gaam Bajar  हम ओ कनहा कुकूर नहि जे बाबू साहेबक फेकल माँड़े पर तिरपित भ’ जाइ । हमर आदर नहि करू जुनि कहू पण्डित, जुनि …

Hindi Poem of Ashok Vajpayee “ Yuva jangal ”,”युवा जंगल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

युवा जंगल  Yuva jangal   एक युवा जंगल मुझे, अपनी हरी पत्तियों से बुलाता है। मेरी शिराओं में हरा रक्त बहने लगा है आँखों में हरी परछाइयाँ फिसलती हैं …