Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Jabar Jot”,”जबर जोत” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जबर जोत  Jabar Jot   उसने एक पेड़ काट कर फेंक दिया कानून की उस निष्क्रिय उपधारा की तरह जो उस जैसों के हित के लिए बनाई गई थी। …

Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Garaha ke jivasham”,”गरहाँ क जीवाश्म” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गरहाँ क जीवाश्म  Garaha ke jivasham बाबू पढ़ने छलाह अ सँ अदौड़ी आ सँ आमिल तैं न दौड़ि सकलाह ने मिल सकलाह सौराठक धवल-धार सँ। जिनगी भरि करैत रहलाह …

Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Sadyasnata ”,”सद्यःस्नाता” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सद्यःस्नाता  Sadyasnata   पानी छूता है उसे उसकी त्वचा के उजास को उसके अंगों की प्रभा को – पानी ढलकता है उसकी उपत्यकाओं शिखरों में से – पानी उसे …

Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Mujhe chahiye ”,”मुझे चाहिए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मुझे चाहिए  Mujhe chahiye   मुझे चाहिए पूरी पृथ्वी अपनी वनस्पतियों, समुद्रों और लोगों से घिरी हुई, एक छोटा-सा घर काफ़ी नहीं है। एक खिड़की से मेरा काम नहीं …

Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Chand zara dhire ugna”,”चाँद ज़रा धीरे उगना” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चाँद ज़रा धीरे उगना  Chand zara dhire ugna चाँद, जरा धीरे उगना । गोरा-गोरा रूप मेरा। झलके न चाँदनी में चाँद, जरा धीरे उगना । भूल आई हँसिया मैं …

Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Rame jaka”,”रामे जकाँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रामे जकाँ  Rame jaka गाम अपनो लगय आन गामे जकाँ तैं फिरै छी बने-बोन रामे जकाँ। ओ जे सरिसोक हरदी रड.ल खेत छल आर सपना जे भोरक ओ समवेत …

Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Ek khidkia ”,”एक खिड़की” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक खिड़की  Ek khidki   मौसम बदले, न बदले हमें उम्मीद की कम से कम एक खिड़की तो खुली रखनी चाहिए। शायद कोई गृहिणी वसंती रेशम में लिपटी उस …

Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Charte badal”,”चरते बादल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चरते बादल  Charte badal भरे हुए को भरते बादल सोचो, यह क्या करते बादल । उनके खेत बरसते केवल उनसे भी क्या डरते बादल । किस नदिया के आमन्त्रण …