Category: Hindi Poems
जबर जोत Jabar Jot उसने एक पेड़ काट कर फेंक दिया कानून की उस निष्क्रिय उपधारा की तरह जो उस जैसों के हित के लिए बनाई गई थी। …
गरहाँ क जीवाश्म Garaha ke jivasham बाबू पढ़ने छलाह अ सँ अदौड़ी आ सँ आमिल तैं न दौड़ि सकलाह ने मिल सकलाह सौराठक धवल-धार सँ। जिनगी भरि करैत रहलाह …
सद्यःस्नाता Sadyasnata पानी छूता है उसे उसकी त्वचा के उजास को उसके अंगों की प्रभा को – पानी ढलकता है उसकी उपत्यकाओं शिखरों में से – पानी उसे …
मुझे चाहिए Mujhe chahiye मुझे चाहिए पूरी पृथ्वी अपनी वनस्पतियों, समुद्रों और लोगों से घिरी हुई, एक छोटा-सा घर काफ़ी नहीं है। एक खिड़की से मेरा काम नहीं …
चाँद ज़रा धीरे उगना Chand zara dhire ugna चाँद, जरा धीरे उगना । गोरा-गोरा रूप मेरा। झलके न चाँदनी में चाँद, जरा धीरे उगना । भूल आई हँसिया मैं …
रामे जकाँ Rame jaka गाम अपनो लगय आन गामे जकाँ तैं फिरै छी बने-बोन रामे जकाँ। ओ जे सरिसोक हरदी रड.ल खेत छल आर सपना जे भोरक ओ समवेत …
एक खिड़की Ek khidki मौसम बदले, न बदले हमें उम्मीद की कम से कम एक खिड़की तो खुली रखनी चाहिए। शायद कोई गृहिणी वसंती रेशम में लिपटी उस …
चरते बादल Charte badal भरे हुए को भरते बादल सोचो, यह क्या करते बादल । उनके खेत बरसते केवल उनसे भी क्या डरते बादल । किस नदिया के आमन्त्रण …