Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Budhinath Mishra “Chand ke Chure”,”चाँद के चूरे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चाँद के चूरे  Chand ke Chure बजते हैं तैमूर-तमूरे नए वक़्त के ढहे कँगूरे। पीते मुगली घुट्टी, खाते बिरियानी बाबरनामे की कहाँ-कहाँ से रकबा अपना नक़ल ढूँढ़ते बैनामे की …

Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Ve bache”,”वे बच्चे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वे बच्चे  Ve bache   प्रार्थना के शब्दों की तरह पवित्र और दीप्त वे बच्चे उठाते हैं अपने हाथ¸ अपनी आंखें¸ अपना नन्हा–सा जीवन उन सबके लिए जो बचाना …

Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Kantak ban me”,”काँटक बन मे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

काँटक बन मे  Kantak ban me लहुआ लिधुर भेल फूलक सपना काँटक बन मे । टोलक टोल बबूर फुलायल छटपट करइछ आमक पखिना काँटक बन मे । छूटि धनुष …

Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Sadak par ek aadmi”,”सड़क पर एक आदमी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सड़क पर एक आदमी  Sadak par ek aadmi   वह जा रहा है सड़क पर एक आदमी अपनी जेब से निकालकर बीड़ी सुलगाता हुआ धूप में– इतिहास के अंधेरे …

Hindi Poem of Budhinath Mishra “Ek kiran bhor ki”,”एक किरन भोर की” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक किरन भोर की  Ek kiran bhor ki एक किरन भोर की उतराई आँगने । रखना इसको सँभाल कर, लाया हूँ माँग इसे सूरज के गाँव से अँधियारे का …

Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Bache ek din”,”बच्चे एक दिन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बच्चे एक दिन  Bache ek din   बच्चे अंतरिक्ष में एक दिन निकलेंगे अपनी धुन में, और बीनकर ले आयेंगे अधखाये फलों और रकम-रकम के पत्थरों की तरह कुछ …

Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Gamak lok”,”गामक लोक” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गामक लोक  Gamak lok बैरङ चिट्ठी जकाँ फिरैए गामक लोक । कस्तूरी मृग जकाँ मरैए गामक लोक । महानगर अपराध करय बुधियार बनल आ जरिमाना तकर भरैए गामक लोक …

Hindi Poem of Ashok Vajpayee “  Adhpake amrud ki tarah prithvi”,”अधपके अमरूद की तरह पृथ्वी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अधपके अमरूद की तरह पृथ्वी  Adhpake amrud ki tarah prithvi   खरगोश अँधेरे में धीरे-धीरे कुतर रहे हैं पृथ्वी । पृथ्वी को ढोकर धीरे-धीरे ले जा रही हैं चींटियाँ …