Category: Hindi Poems
पाथेय Pathey आओ बैठो साथ पिया बालू के कण हैं अपने ही । नहीं यहाँ दुनिया का चक्कर पलकों में पग धर आओ री यह है रेत नदी …
घुरफेकन लोहार Ghurfekan lohar अपने कंघे पर टँगारी को लादे जाता घुरफेकन लोहार हमारे लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण नागरिक है जब वह चलता हैं हमारे लोकतंत्र का सबसे …
रात के साथ रात लेटी थी Raat ke saath raat leti thi रात के साथ रात लेटी थी सुबह एक पालने में रोती थी याद की बर्फपोश टहनी पर …
दुपट्टा Dupatta दुपट्टा लहरा रहा है शानदार हवा चल रही है तेज़ बादल बरसने को हैं मौसम रहा है लगातार बदल तय करना कठिन है दुपट्टा क्यों लहरा …
तेरा हाथ मेरे काँधे Tera haath mere kandhe तेरा हाथ मेरे काँधे पे दर्या बहता जाता है कितनी खामोशी से दुख का मौसम गुजरा जाता है नीम पे अटके …
अर्ध्य Adhrya चांद निकल आया यही तो कहा था उस रात जब माध की चौथ को तुम अर्ध्य दे रही थी तुम्हारे लिये चांद का यह निकलना पुतलियों …
साथ चलते आ रहे हैं पास आ सकते नहीं Sath chalte aa rahe he pas aa sakte nahi साथ चलते आ रहे हैं पास आ सकते नहीं इक नदी …
रेत में शाम Ret me sham चल पड़ी नाव धीरे-धीरे फिर संध्या आई नदी नाव संयोग हुआ अब मन में बालू की आकृतियाँ छाई टूटा तारा टूटी लहरें …