Category: Hindi Poems
बुज़ुर्ग पेड़ Bujurg pedh कुछ रिश्ता है ज़रूर मेरा इन बुज़ुर्ग पेड़ों से! देख कर ही हरिया जाती हैं आँखें, उमग उठता है मन, वैसे ही जैसे मायके …
योद्धा का विषाद Yodha ka vishad जो व्यर्थ लाद कर घूम रही धर दूँ सारा बोझा उतार! ये गीता और महाभारत सुन लेंगे थोड़ी देर बाद यह महासमर …
मीराँ Meera ओ, राज महल की सूनी सी वैरागिन, ओ अपने मन मोहन की प्रेम-दिवानी, ओ मीरा तेरी विरह रागिनी जागी, तो गूँज उठी युग-युग के उर की …
ओ चाँद जरा धीरे-धीरे O chand jara dhire dhire कोई शरमीली साध न बाकी रह जाये! किरणों का जाल न फेंको अभी समय है, जो स्वप्न खिल रहे, …
वन्दना Vandana अंध तम का एक कण मै, तुम अपरिमित ज्योतिशाली, दीप के मैं धूम्र का कण, तुम दिवा के अंशुमाली! मैं अकिंचन रेणुकण हूँ, तुम अचल हिमचल …
सारा आकाश Sara Akash बस पंख सलामत रहें सारा आकाश तुम्हारा कोई घेरा . काफ़ी नहीं तुम्हारे लिये न सीमित करती कोई कारा . पंख जहाँ ले जायँ, …
अंतिम-शरण्य Antim sharnay किस विषम परिस्थिति में डाला, विचलित मन काँप-काँप जाता,, कैसी यह आज्ञा सखे, कि जिसको सुन कर ही मन घबराता! एक ही वधू, वर पाँच-पाँच, …
देखो न… Dekho na दो-चार यूनिफ़ार्मवाले भूरे स्वेटर बिखरे हैं, मोज़े उतारे हुए इधर-उधर डाल गए, जिसे जहाँ जगह मिली, बच्चों के फेंके हुए कपड़े ये मैले हैं! …