Category: Hindi Poems
वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा Vo thaka hua meri baho me jara वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा सो गया था तो क्या हुआ अभी मैं …
सर से चादर बदन से क़बा ले गई Sar se chadar badan se kaba le gai सर से चादर बदन से क़बा ले गई ज़िन्दगी हम फ़क़ीरों से क्या …
कभी यूँ मिलें कोई मसलेहत, कोई ख़ौफ़ दिल में ज़रा न हो Kabhi yu mile koi maslehat, koi khof dil me jara na ho कभी यूँ मिलें कोई मसलेहत, …
पूरे हुए पचास-वर्ष Pure hue pachas varsh आज़ादी की पचासवीं सालगिरह पर एक कविता नाश्ते के लिए भुनी हुई स्त्री का गोश्त लाया जाए हाथ धोने के लिए अगवा …
विजयकांत Vijaykant पहाड़ी झरने की तरह चट्टानों से टकराते पहले-पहल मिले थे विजयकांत विजयकांत नद की तरह बहे तब से अब तक समुद्र होने की प्रक्रिया में ज्वारग्रस्त होते …
अन्धेरे के बाहर एक निगाह Andhere ke bahar ek nigah अन्धेरे के बाहर एक निगाह है देखती हुई अन्धेरे और एकान्त के सारे दृश्य भावनाओं के खेल में पराजित …
सज़ा Saza तमाशा बनने की तैयारी ख़त्म हुई तमाशा बन गया है अब एक पूरा का पूरा आदमी | नाराज़ लोग ख़ुश हुए सारे के सारे दीदा-फाड़ अंदाज़ में …
घाव Ghav ऐसे मत छुओ घाव को घाव को पहले मन में बसाओ उतारो धीरे-धीरे हाथों में उंगलियों तक ले आओ धीरे-धीरे छुओ, फिर छुओ घाव को घाव की …