शिव का हनुमान अवतार
Shiv ka Hanuman Avtar
भगवान शिव का हनुमान अवतार सभी अवतारों में श्रेष्ठ माना गया है। इस अवतार में भगवान शंकर ने एक वानर का रूप धरा था। शिवपुराण के अनुसार, देवताओं और दानवों को अमृत बांटते हुए विष्णुजी के मोहिनी रूप को देखकर लीलावश शिवजी ने कामातुर होकर अपना वीर्यपात कर दिया।
सप्तऋषियों ने उस वीर्य को कुछ पत्तों में संग्रहित कर लिया। समय आने पर सप्तऋषियों ने भगवान शिव के वीर्य को वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से गर्भ में स्थापित कर दिया, जिससे अत्यंत तेजस्वी एवं प्रबल पराक्रमी श्री हनुमानजी उत्पन्न हुए।
हनुमानजी को भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम का परम सेवक माना जाता है। वाल्मीकि रामायण के एक प्रसंग में श्रीराम ने यह भी कहा है कि यदि हनुमान न होते वे सीता को रावण की कैद से मुक्त न करा पाते। हनुमानजी भी अमर हैं, उन्हें अमरता का वरदान माता सीता ने दिया था।