इन्दिरा गांधी जयंती 19 नवम्बर
Indira Gandhi Jayanti 19 November
19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में आनंद भवन में एक ऐसी महान विभूती का जन्म हुआ जिसने न केवल भारतीय राजनीति को नये आयाम दिये बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी एक युग बनकर छाई रहीं।
रवीन्द्रनाथ टैगोर की “प्रियदर्शिनी”, नेहरु की इंदिरा, मोरार जी देसाई की गुंगी गुङिया, दृढ़निश्चयी और किसी भी तरह की परिस्थिति से जूझने और जीतने की क्षमता रखने वाली शक्तीशाली महिला श्रीमति इंदिरा गाँधी भारत की पहली एवं अब तक की एक मात्र महिला प्रधानमंत्री हैं।
अपने दृढ निश्चय, साहस और निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता के कारण इंदिरा गांधी को विश्व राजनीति में लौह महिला के रूप में जाना जाता है लेकिन बचपन में उन्हें भी आम बच्चों की तरह अंधेरे से काफी डर लगता था।
“इंदिरा गांधी ने अपने संस्मरण ‘बचपन के दिन’ में इसका उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा है कि मुझे अंधेरे से डर लगता था, जैसा कि शायद प्रत्येक छोटे बच्चे को लगता है। रोज शाम को अकेले ही निचली मंजिल के खाने के कमरे से उपरी मंजिल के शयनकक्ष तक की यात्रा मुझे बहुत भयभीत करती थी। लम्बे, फैले हुए बरामदे को पार करना, चरमराती हुई लकड़ी की सीढ़ियोंपर चढ़ना और एक स्टूल पर चढ़कर दरवाजे के हैंडिल और बत्ती के स्विच तक पहुंचना, किन्तु साहस के महत्व का ऐसा ज़जबा था कि मैंने निश्चय किया कि मुझे इस भय से स्वयं ही छुटकारा पाना है।“
आज़ादी के आन्दोलनों का नन्ही इन्दिरा के दिल पर अमिट प्रभाव रहा और 13 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने युवा लड़के-लड़कियों के लिए वानर सेना बनाई, जिसने विरोध प्रदर्शन और झंडा जुलूस के साथ साथ कांगेस के नेताओं की मदद में संवेदनशील प्रकाशनों तथा प्रतिबंधित सामग्रीओं का परिसंचरण कर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में छोटी लेकिन उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी।
पाकिस्तान के साथ 1971 में हुए संग्राम में उन्होंने बांग्लादेश नाम से एक नए देश के गठन में सक्रिय भूमिका निभाई जिससे वह पूरी दुनिया में दृढ़ इरादों वाली महिला के रूप में जानी जाने लगीं और अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें दुर्गा की संज्ञा दी। अपने साहसिक फैसलों के लिए मशहूर इंदिरा गांधी ने 1974 में पोखरण में परमाणु विस्फोट कर जहां चीन की सैन्य शक्ति को चुनौती दी, वहीं अमेरिका जैसे देशों की नाराजगी की कोई परवाह नहीं की। इन निर्णयों के चलते जहां उन्हें देश और दुनिया में बुलंद इरादों वाली महिला के रूप में तारीफ मिली, वहीं 1975 में आपातकाल लगा देने के कारण इंदिरा को विश्व बिरादरी की आलोचना का भी सामना करना पड़ा।
पंजाब में सिक्ख आतंकवादियों ने स्वायत्त राज्य की माँग पर ज़ोर देने के लिए हिंसा का रास्ता अपना लिया। जवाब में श्रीमती गांधी ने जून 1984 में सिक्खों के पवित्रतम धर्मस्थल अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर पर सेना के हमले के आदेश दिए, जिसके फलस्वरूप 450 से अधिक सिक्खों की मृत्यु हो गई। स्वर्ण मन्दिर पर हमले के प्रतिकार में पाँच महीने के बाद ही श्रीमती गांधी के आवास पर तैनात उनके दो सिक्ख अंगरक्षकों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
करोड़ों लोगों की प्रिय प्रधानमंत्री का जीवन-इतिहास उपलब्धियों से भरा पड़ा है। दृढ़ इरादों और सटीक फैसलों वाली इंदिरा गांधी ने अपनी क्रांतिकारी सोच और अद्भुत प्रशासनिक क्षमता से विश्व में भारत को गौरवशाली राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।
श्रीमति इंदिरा गांधी के जन्मदिवस पर निम्न पंक्तियों से अभिन्नदन करते हैं—
“खुद अपने आपमें सिमटी हुई सदी हैं ये,
भारत रत्न से अलंकृत सबकी प्रियदर्शनी हैं ये,
इन्हे करीब से देखो तो जिंदगी हैं ये।“