जीवन में मेर उद्देश्य
Jeevan me mera uddeshya
संसार में हर प्राणी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है । सूर्य, चन्द्र, सितारे सब अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं । तो फिर में अपने जीवन को बिना उद्देश्य से कैसे रख सकता हूँ ।
हर किसी का उद्देश्य अलग-अलग होता है । कोई डॉक्टर बनना चाहता है कोई नेता तो कोई इंजीनियर। पर मेरा उद्देश्य इनसे अलग है । मेरा मानना यह है की अच्छे राष्ट्र की नींव उसके अच्छे पढ़े लिखे और संस्कारवान लोग होते हैं । मेरे जीवन का उद्देश्य एक आदर्श शिक्षक बनना है ।
एक अच्छा शिक्षक ही अच्छे राष्ट्र की नींव रख सकता है । अध्यापक स्वयं शिक्षा का केंद्र होता है । वह अपने शिष्यों को भी सुयोग्य बनाकर उनके हृदय में भी ज्ञान की ज्योति जला सकता है । क्यों न में भी अपनी शिक्षा की ज्योति से हर नवयुवक छात्र के हृदय में ज्ञान का दीप जला दूँ ।
दीपक से दीपक जलता है ।
ज्योति अमर माँ के मंदिर की ।।
इसी अमर दीप से प्रकाश ले जन-जन के मन का अँधेरा दूर कर सकूँ तो मेरे जीवन का लक्ष्य पूरा हो जायेगा । इसलिए में एक शिक्षक बनना चाहता हूँ और हर बालक को यह पाठ पढ़ाना चाहता हूँ कि वह भगवन से प्रार्थना करके यही वर मांगे कि –
तमसो मा ज्योतिर्गमय
हे प्रभु ! मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।