मेरा पसंदीदा खेल
Mera pasandida khel
भारत में बहुत से खेल खेले जाते हैं । क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल और वॉलीवाल लोगों के प्रिय खेल हैं । पर ये खेल सभी लोग नहीं खेल सकते हैं क्योंकि इन खेलों का सामन महंगा आता है और विशेष रूप से तैयार मैदान चाहिए ।
में भी निर्धन परिवार से हूँ । मेरा प्रिय खेल कबड्डी है । मैं कबड्डी का शौकीन हूँ और खिलाडी भी । महंगे खेलों की अपेक्षा मुझे कबड्डी एक सुन्दर, सस्ता और स्वास्थ्यप्रद खेल लगता है । कबड्डी के लिए किसी विशेष स्थान की जरूरत नहीं पड़ती । यह कंही भी और कभी भी खेली जा सकती है । हाँ इसमें चोट लगने का थोडा डर होता है यदि स्थान पथरीला हो तो ।
वैसे कबड्डी में 7-7 खिलाडी होते हैं पर 8-10 खिलाडी भी हों तो भी खेल जम जाता है । कबड्डी खेलने के स्थान के बीचोंबीच एक लाइन होती है जिसे पाला कहते हैं । इसके दोनों ओर बराबर खिलाडी होते हैं । खेल शुरू होने पर एक खिलाडी कबड्डी-कबड्डी बोलता हुआ दूसरी टीम की ओर जाता है । वह यह कोशिश करता है की बिना साँस टूटे दूसरे खिलाडी को छूकर वापस अपने पीला में आ जाये ।
यदि दूसरी टीम का खिलाडी उसको पकड़ लेता है और वह खिलाडी पाले को नहीं छू पाता तो वह खिलाडी आउट माना जाता है । इस खेल में ताकत की जरूरत होती है । कुल मिलाकर कबड्डी सस्ता, सरल, सुरक्षित तथा निरापद खेल है । इसलिए यह मेरा प्रिय खेल है ।