आज भटू मुरली बट के तट
Aaj bhatu murli bat ke tat
आज भटू मुरली बट के तट के नंद के साँवरे रास रच्योरी।
नैननि सैननि बैननि सो नहिं कोऊ मनोहर भाव बच्योरी।
जद्यपि राखन कों कुलकानि सबैं ब्रजबालन प्रान पच्योरी।
तथापि वा रसखानि के हाथ बिकानि कों अंत लच्यो पै लच्योरी।