Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Aram se bhai zindagi“ , “आराम से भाई ज़िन्दगी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आराम से भाई ज़िन्दगी

 Aram se bhai zindagi

 

ज़रा आराम से

तेज़ी तुम्हारे प्यार की बर्दाशत नहीं होती अब

इतना कसकर किया आलिंगन

ज़रा ज़्यादा है जर्जर इस शरीर को

आराम से भाई ज़िन्दगी

ज़रा आराम से

तुम्हारे साथ-साथ दौड़ता नहीं फिर सकता अब मैं

ऊँची-नीची घाटियों पहाड़ियों तो क्या

महल-अटारियों पर भी

न रात-भर नौका विहार न खुलकर बात-भर हँसना

बतिया सकता हूँ हौले-हल्के बिल्कुल ही पास बैठकर

और तुम चाहो तो बहला सकती हो मुझे

जब तक अँधेरा है तब तक सब्ज़ बाग दिखलाकर

जो हो जाएँगे राख

छूकर सवेरे की किरन

सुबह हुए जाना है मुझे

आराम से भाई ज़िन्दगी

ज़रा आराम से ।

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