Hindi Poem of Adam Gondvi “Bhookh ke ehsaas ko shoro sukhan tak le chalo“ , “भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो
Bhookh ke ehsaas ko shoro sukhan tak le chalo

भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो
या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले चलो

जो ग़ज़ल माशूक के जल्वों से वाक़िफ़ हो गयी
उसको अब बेवा के माथे की शिकन तक ले चलो

मुझको नज़्मो-ज़ब्त की तालीम देना बाद में
पहले अपनी रहबरी को आचरन तक ले चलो

गंगाजल अब बूर्जुआ तहज़ीब की पहचान है
तिशनगी को वोदका के आचमन तक ले चलो

ख़ुद को ज़ख्मी कर रहे हैं ग़ैर के धिखे में लोग
इस शहर को रोशनी के बाँकपन तक ले चलो.

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.