Hindi Poem of Adam Gondvi “Jiske sammohan me pagal dharti he aakash bhi he“ , “जिसके सम्मोहन में पागल धरती है आकाश भी है ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जिसके सम्मोहन में पागल धरती है आकाश भी है
Jiske sammohan me pagal dharti he aakash bhi he

जिसके सम्मोहन में पागल धरती है आकाश भी है
एक पहेली-सी दुनिया ये गल्प भी है इतिहास भी है

चिंतन के सोपान पे चढ़ कर चाँद-सितारे छू आये
लेकिन मन की गहराई में माटी की बू-बास भी है

मानवमन के द्वन्द्व को आख़िर किस साँचे में ढालोगे
‘महारास’ की पृष्ट-भूमि में ओशो का सन्यास भी है

इन्द्र-धनुष के पुल से गुज़र कर इस बस्ती तक आए हैं
जहाँ भूख की धूप सलोनी चंचल है बिन्दास भी है

कंकरीट के इस जंगल में फूल खिले पर गंध नहीं
स्मृतियों की घाटी में यूँ कहने को मधुमास भी है.

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