Hindi Poem of Adam Gondvi “Jism kya he ruh tak sab kuch khulasa dekhiye“ , “जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिये” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिये
Jism kya he ruh tak sab kuch khulasa dekhiye

जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिये
आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिये

जो बदल सकती है इस पुलिया के मौसम का मिजाज़
उस युवा पीढ़ी के चेहरे की हताशा देखिये

जल रहा है देश यह बहला रही है क़ौम को
किस तरह अश्लील है कविता की भाषा देखिये

मतस्यगंधा फिर कोई होगी किसी ऋषि का शिकार
दूर तक फैला हुआ गहरा कुहासा देखिये.

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