Hindi Poem of Adam Gondvi “Jo Uljhan kar rah gai he failo ke jaal me“ , “जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में
Jo Uljhan kar rah gai he failo ke jaal me

जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में
गाँव तक वो रोशनी आएगी कितने साल में

बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई
रमसुधी की झोपड़ी सरपंच की चौपाल में

खेत जो सीलिंग के थे सब चक में शामिल हो गए
हमको पट्टे की सनद मिलती भी है तो ताल में

जिसकी क़ीमत कुछ न हो इस भीड़ के माहौल में
ऐसा सिक्का ढालिए मत जिस्म की टकसाल में

 

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