विकट बाढ़ की करुण कहानी
Vikat badh ki karun kahani
विकट बाढ़ की करुण कहानी नदियों का संन्याकस लिखा है
बूढ़े बरगद के वल्कील पर सदियों का इतिहास लिखा है
क्रूर नियति ने इसकी किस्मलत से कैसा खिलवाड़ किया है
मन के पृष्ठोंे पर शाकुंतल अधरों पर संत्रास लिखा है
छाया मदिर महकती रहती गोया तुलसी की चौपाई
लेकिन स्व प्निल स्मृुतियों में सीता का वनवास लिखा है
नागफनी जो उगा रहे हैं गमलों में गुलाब के बदले
शाखों पर उस शापित पीढ़ी का खंडित विश्वाेस लिखा है
लू के गर्म झकोरों से जब पछुआ तन को झुलसा जाती
इसने मेरे तनहाई के मरुथल में मधुमास लिखा है
अर्धतृप्ति उद्दाम वासना ये मानव जीवन का सच है
धरती के इस खंडकाव्या पर विरहदग्धच उच्छ्वास लिखा है