Hindi Poem of Amarnath Shrivastav “Pyade se vazir“ , “प्यादे से वज़ीर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

प्यादे से वज़ीर
Pyade se vazir

प्यादे से वज़ीर बनते हैं ऐसी बिछी बिसात
नए भोर का भ्रम देती है निखर गई है रात

कई एक चेहरे, चेहरों के
त्रास और सन्त्रास
भीतर तक भय से भर देते
हास और परिहास
नहीं बचा `साबुत’ क़द कोई ऐसा उपल निपात

बन्द गली के सन्नाटों में
कोई दस्तक जैसी
भर देती हैं खालीपन से
बातें कैसी-कैसी
नई-नई अनुगूँजें बनते नए-नए अनुपात

लोककथाएँ जिनमें पीड़ा
का अनन्त विस्तार
हम ऐसे अभ्यस्त कि
खलता कोई भी निस्तार
बातों से बातें उठती हैं सब भूले औकात ।

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