Hindi Poem of Amir Khusro’“Pardesi Balam dhan akeli mera bidesi ghar aavana , “परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना” Complete Poem for Class 10 and Class 12
Hindi Poem of Amir Khusro’“Pardesi Balam dhan akeli mera bidesi ghar aavana , “परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना” Complete Poem for Class 10 and Class 12
परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना -अमीर ख़ुसरो
Pardesi Balam dhan akeli mera bidesi ghar aavana – Amir Khusro
परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना।
बिर का दुख बहुत कठिन है प्रीतम अब आजावना।
इस पार जमुना उस पार गंगा बीच चंदन का पेड़ ना।
इस पेड़ ऊपर कागा बोले कागा का बचन सुहावना।
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