Hindi Poem of Amir Khusrow “ Bujh Paheli (Antarlapika)“ , “बूझ पहेली (अंतर्लापिका)” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बूझ पहेली (अंतर्लापिका)

 Bujh Paheli (Antarlapika)

 

खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग।  

तन मेरो मन पियो को, दोउ भए एक रंग।। 

खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वा की धार। 

जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार।।

खीर पकायी जतन से, चरखा दिया जला। 

आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजा।।

गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस।  

चल खुसरो घर आपने, सांझ भयी चहु देस।।

खुसरो मौला के रुठते,  पीर के सरने जाय।

कहे खुसरो पीर के रुठते, मौला नहिं होत सहाय।।

 

 

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