Hindi Poem of Amir Khusrow “ Doha Paheli“ , “दोहा पहेली” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दोहा पहेली

 Doha Paheli

 

उज्जवल बरन अधीन तन, एक चित्त दो ध्यान।

देखत मैं तो साधु है, पर निपट पार की खान।।

उत्तर – बगुला (पक्षी)

एक नारी के हैं दो बालक, दोनों एकहि रंग।

एक फिर एक ठाढ़ा रहे, फिर भी दोनों संग।

उत्तर – चक्की।

आगे-आगे बहिना आई, पीछे-पीछे भइया।

दाँत निकाले बाबा आए, बुरका ओढ़े मइया।।

उत्तर – भुट्टा

चार अंगुल का पेड़, सवा मन का फ्ता।

फल लागे अलग अलग, पक जाए इकट्ठा।।

उत्तर – कुम्हार की चाक

अचरज बंगला एक बनाया, बाँस न बल्ला बंधन धने।

ऊपर नींव तरे घर छाया, कहे खुसरो घर कैसे बने।।

उत्तर – बयाँ पंछी का घोंसला

माटी रौदूँ चक धर्रूँ, फेर्रूँ बारम्बर।

चातुर हो तो जान ले मेरी जात गँवार।।

उत्तर – कुम्हार

गोरी सुन्दर पातली, केहर काले रंग।

ग्यारह देवर छोड़ कर चली जेठ के संग।।

उत्तर – अहरह की दाल।

ऊपर से एक रंग हो और भीतर चित्तीदार।

सो प्यारी बातें करे फिकर अनोखी नार।।

उत्तर – सुपारी

बाल नुचे कपड़े फटे मोती लिए उतार।

यह बिपदा कैसी बनी जो नंगी कर दई नार।।

उत्तर – भुट्टा (छल्ली)

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