मैं दस साल का था
Me das saal ka tha
मैं दस साल का था
तो सौ बच्चों के साथ खेलता-कूदता था
भागता-दौड़ता लुकता-छुपता था
बीस साल का हुआ
तो दस में सिमट गई मेरी टोली
कुछ मुझे मतलबी दिखते
कुछ को मैं आत्मग्रस्त दिखता
चालीस के आसपास
जिन चार-पाँच से मैं घिरा रहता
वे मेरे ख़ून के प्यासे नज़र आते
कभी वे मेरी, कभी हम उनकी
गर्दन दबाते
अब सत्तावन का हो गया हूँ
सबसे बिछड़ गया हूँ
कोई इंसान नहीं
कुछ चीज़ें हैं मेरे पास
अब उन्हीं की है आस
मुझे भी और उन्हें भी
जो आएँगे शायद
मरने पर
मुझे जलाने