Hindi Poem of Amitabh Bachchan “  Sammanit“ , “सम्मानित” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सम्मानित

 Sammanit

 

लिफ़्टमैन और दरबान जानते थे

वे रिक्शा चलाने वालों से कम कमाते हैं

वे कुछ पढ़े-लिखे थे

रिक्शा चलाने वालों की नियति पर

तरस खाते थे

वे तसल्ली से रहने की कोशिश करते

लिफ़्ट के पंखे की हवा खाते हुए

गाड़ियों का भोंपू सुनकर फाटक खोलते हुए

वे सोचते

वे रिक्शे पर बैठने वाले

सम्मानित लोगों में हैं

उन्हें पक्का यक़ीन था

रिक्शा-चालकों को

रिक्शे की सवारी का सौभाग्य

नसीब नहीं

उन्हें उम्मीद थी

उनका फेफड़ा देर से जवाब देगा

वे समझते थे

रिक्शा खींचने वालों के मुक़ाबले

भविष्य पर

ज़्यादा मज़बूत है उनकी पकड़

पर कुछ ऐसा था

जो न निगलते न उगलते बनता था

जब रिक्शावाले दाखिल होते थे

अपार्टमेण्ट के फाटक के अन्दर

 

 

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