Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Bahut Gumnamo me shamil ek naam apna hi hai “ , “बहुत गुमनामों में शामिल एक नाम अपना भी है ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बहुत गुमनामों में शामिल एक नाम अपना भी है
Bahut Gumnamo me shamil ek naam apna hi hai

 

बहुत गुमनामों में शामिल एक नाम अपना भी है
इल्मे-नाकामी में हासिल इक मक़ाम अपना भी है

गौर करने के लिये भी कुछ न कुछ मिल जायेगा
हाले-दिल पर हक़ के बातिल इक कलाम अपना भी है

मेहरबाँ भी हैं बहुत और कद्रदाँ भी हैं बहुत
हो कभी ज़र्रानवाज़ी इन्तेजाम अपना भी है

कब हुज़ूरे-वक़्त को फ़ुरसत मिलेगी देखिये
मुश्त-ए-दरबान तक पहुँचा सलाम अपना भी है

चलिये मैं भी साथ चलता हूँ सफ़र कट जायेगा
आप की तक़रीर के पहले पयाम अपना भी है

इक परिन्दे की तरह बस आबो-दाने की तलाश
जिन्दगी का यह तरीका सुबहो-शाम अपना भी है

घर की चौखट तक मेरा ही हुक़्म चलता है ’अमित’
मिल्कीयत छोटी सही लेकिन निज़ाम अपना भी है

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