Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Baise-shok aajmate hai“ , “इसे-शौक आजमाते हैं ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

इसे-शौक आजमाते हैं
Baise-shok aajmate hai

 

बाइसे-शौक आजमाते हैं
कितने मज़बूत अपने नाते हैं

रोज़ कश्ती सवाँरता हूँ मैं
कुछ नये छेद हो ही जाते हैं

बाकलमख़ुद बयान था मेरा
अब हवाले कहीं से आते हैं

जिनपे था सख़्त ऐतराज़ उन्हे
उन्हीं नग़्मों को गुनगुनाते हैं

शम्मये-बज़्म ने रुख़ मोड़ लिया
अब ’अमित’ अन्जुमन से जाते हैं

शब्दार्थ: बाइसे-शौक = शौक के लिये

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