Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Bajahir khub sona chahta hu “ , “बजाहिर खूब सोना चाहता हूँ ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बजाहिर खूब सोना चाहता हूँ
Bajahir khub sona chahta hu

 

बजाहिर खूब सोना चाहता हूँ
हक़ीक़त है कि रोना चाहता हूँ

अश्क़ आँखों को नम करते नहीं अब
जख़्म यादों से धोना चाहता हूँ

वक़्त बिखरा गया जिन मोतियों को
उन्हे फिर से पिरोना चाहता हूँ

कभी अपने ही दिल की रहगुजर में
कोई खाली सा कोना चाहता हूँ

नई शुरूआत करने के लिये फिर
कुछ नये बीज बोना चाहता हूँ।

गये जो आत्मविस्मृति की डगर पर
उन्ही में एक होना चाहता हूँ।

भेद प्रायः सभी के खुल चुके हैं
मैं जिन रिश्तों को ढोना चाहता हूँ

नये हों रास्ते मंजिल नई हो
मैं इक सपना सलोना चाहता हूँ।

’अमित’ अभिव्यक्ति की प्यासी जड़ो को
निज अनुभव से भिगोना चाहता हूँ।

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