Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Fikra aadat me dhal gai hogi“ , “फ़िक्र आदत में ढल गई होगी ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

फ़िक्र आदत में ढल गई होगी
Fikra aadat me dhal gai hogi

 

फ़िक्र आदत में ढल गई होगी
अब तबीयत सम्हल गई होगी

गो हवादिस नहीं रुके होंगे
उनकी सूरत बदल गई होगी

जान कर सच नहीं कहा मैंने
बात मुँह से निकल गई होगी

मैं कहाँ उस गली में जाता हूँ
है तमन्ना मचल गई होगी

जिसमें किस्मत बुलन्द होनी थी
वो घड़ी फिर से टल गई होगी

खा़के-माजी की दबी चिंगारी
उसकी आहट से जल गई होगी

खता मुआफ़ के मुश्ताक़ नजर
बेइरादा फ़िसल गई होगी

मुन्तजिर मुझसे अधिक थीं आँखें
बूँद बरबस निकल गई होगी

नाम गुम हो गये हैं खत से ’अमित’
हर्फ़, स्याही निगल गई होगी।

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