Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Jeevan darshan “ , “जीवन दर्शन ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जीवन दर्शन
Jeevan darshan

 

व्याप्त हो तुम यों सृजन में
नीर जैसे ओस कन में
हे! अलक्षित।
तुम्हे जीवन में, मरण में

शून्य में वातावरण में
पर्वतों में धूल कण में
विरह में देखा रमण में
मनन के एकान्त क्षण में

शोर गुम्फित आवरण में
हे! अनिर्मित।
तुम कली की भंगिमा में
कोपलों की अरुणिमा में

तारकों में चन्द्रमा में
भीगती रजनी अमा में
पुण्य-सलिला अनुपमा में
ज्योत्स्ना की मधुरिमा में

हे! प्रकाशित।
गूढ़ संरचना तुम्हारी
तार्किक की बुद्धि हारी
सभी उपमायें विचारी

नेति कहते शास्त्रधारी
बनूँ किस छवि का पुजारी
मति भ्रमित होती हमारी
हे! अप्रस्तुत।

स्वयं अपना भान दे दो
दृष्टि का वरदान दे दो
रूप का रसपान दे दो

नाद स्वर का गान दे दो
और अनुपम ध्यान दे दो
मुझे शाश्वत ज्ञान दे दो
हे! अयुग्मित।

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