जो कुछ हो सुनाना उसे बेशक़ सुनाइये
Jo kuch ho sunana use beshak sunaiye
जो कुछ हो सुनाना उसे बेशक़ सुनाइये
तकरीर ही करनी हो कहीं और जाइये
याँ महफ़िले-सुखन को सुखनवर की है तलाश
गर शौक आपको भी है तशरीफ़ लाइये।
फूलों की जिन्दगी तो फ़क़त चार दिन की है
काँटे चलेंगे साथ इन्हे आजमाइये।
कउँओं की गवाही पे हुई हंस को फाँसी
जम्हूरियत है मुल्क में ताली बजाइये।
रुतबे को उनके देख के कुछ सीखिये ‘अमित’
सच का रिवाज ख़त्म है अब मान जाइये।