Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Kisi ko mahal deta hai kisi ko ghar nahi deta “ , “किसी को महल देता है किसी को घर नहीं देता ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

किसी को महल देता है किसी को घर नहीं देता
Kisi ko mahal deta hai kisi ko ghar nahi deta

 

किसी को महल देता है किसी को घर नहीं देता
ये क्या इंसाफ है मालिक? कोई उत्तर नहीं देता

जिन्हे निद्रा नहीं आती पडे़ हैं नर्म गद्दों पर
जो थक चूर हैं श्रम से उन्हे बिस्तर नहीं देता

ये कैसा कर्म जिसका पीढ़ियाँ भुगतान करती हैं
ये क्या मज़हब है जो सबको सही अवसर नहीं देता

तुम्हारी सृष्टि के कितने सुमन भूखे औऽ प्यासे हैं
दयानिधि! इनके प्यालों को कभी क्यों भर नहीं देता

मुझे विश्वास पूरा है, तेरी ताकत औऽ हस्ती पर
तू क्यों इक बार सबको इक बराबर कर नहीं देता

 

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