Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Me bita kal hua tumhara“ , “मैं बीता कल हुआ तुम्हारा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं बीता कल हुआ तुम्हारा
Me bita kal hua tumhara

 

यद्यपि मैंने जीवन हारा
मैं बीता कल हुआ तुम्हारा

घिरती हैं सुरमई घटायें
संध्या के कंधों पर फिर से
सरक गया आशा का सूरज
आशंकाओं भरे क्षितिज से
पूछ रहा अपने जीवन से
क्या इच्छित था यही किनारा?
मैं बीता कल हुआ तुम्हारा

मिला अयाचित जो धन उसके
रक्षण में सब शक्ति लगा दी
किन्तु चंचला ने यत्नों पर
मेरे, निज तूलिका चला दी
खड़ा अकिंचन सोच रहा हूँ
कहाँ गया संसार हमारा
मैं बीता कल हुआ तुम्हारा

छलना के दुर्धर्ष पाश में
बद्ध हो गया मन कुछ ऐसे
स्वत्व भूल कर मायाजल में
कूद गया मृगशावक जैसे
है विस्तृत मरुभूमि चतुर्दिक
घिरा चेतना पर अधियारा
मैं बीता कल हुआ तुम्हारा

आत्मवंचना के इस पथ पर
हो न जगत मेरा अनुगामी
यद्यपि मेरी सीख व्यर्थ है
मैं ही रहा न अपना स्वामी
जीवन था अनमोल किन्तु
गिर गया भूमि पर जैसे पारा
मैं बीता कल हुआ तुम्हारा

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