Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Mujhko inkar aa gya shayad “ , “मुझको इंकार आ गया शायद” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मुझको इंकार आ गया शायद
Mujhko inkar aa gya shayad

 

उनको अब प्यार आ गया शायद
मुझको इंकार आ गया शायद

एक बेचैन सी ख़मोशी है
बक्ते-बीमार आ गया शायद

कुछ चहल-पलह है ख़ाकी-ख़ाकी
कोई त्योहार आ गया शायद

होश गु़म और लुटे-लुटे चेहरे
कोई बाज़ार आ गया शायद

खून की बू सी अभी आई है
अपना अख़बार आ गया शायद

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