सहल इस तरह ज़िन्दगी कर दे
Sahal is tarha zindagi kar de
सहल इस तरह ज़िन्दगी कर दे
मुझपे एहसाने-बेख़ुदी कर दे
आरज़ू ये नहीं कि यूँ होता
आरज़ू है कि बस यही कर दे
हिज़्र की आग से तो बेहतर है
ये मुलाक़ात आख़िरी कर दे
ऐ नुजूमी जरा सितारों पर
हो सके थोड़ी रोशनी कर दे
दास्ताने-सफ़र ‘अमित’ शायद
उनकी आँखे भी शबनमी कर दे